Tuesday, May 25, 2021

लौटती डाक सं



अहांक भीतर जे


बसल अइ


उदासी, पीड़ा


दुख आ अवसाद


तार क दिय' हमरा


 


हम सहेजि राखब


अपना हृदय में


सनेश जेना


 


लौटती डाक सं


हम पठा देब


भोरुका उजास


भगवती सीरक आशीष


आ आंचर त'रक सिनेह


रंगल ढौरल पौती मे ।


 


अहांक पूछै सं पहिने बता दी कि


एहि भयौन समयो मे


अस्पताल के संग संग खूजल छै


डाकखाना सेहो । 


- अरुण चन्द्र  राय

3 comments:

  1. UnknownMay 25, 2021 at 2:48 AM
    बहुत नीक कविता। आशान्वित करै बला एहि दुरूह समय काल मे।
    वर्तमान स्थिति के संज्ञान लैत, आस्था ओ विस्वास जगाबए बला। आनेक साधुवाद अहाँ के।

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  2. बहुत बहुत धन्यवाद। अपन परिचय सेहो दैतियई त नीक लगिता।

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