गामक बाहर
एकटा पोखरि अछि
बहुत विशाल
लोक कहै छै
एहि पोखरि के खुनने रहै दैत्य राता राति
सूतल रहै जखन दुनिया भरि के मनुक्ख
गहीर निन्न में
दैत्य खुनैत रहै पोखरि
पोखरिक भीड पर दैत्य रोपलक
आम,कटहर, जामुन, सीसो, बांस, केरा
आ बनेलक घाट चारू दिस राता राति
युद्ध करैत रहै जखन दुनिया भरि के मनुक्ख
दैत्य रोपित रहै तरहक तरहक गाछ
की छोट, की पैघ
की उंच, की नीच
की गरीब, की धनिक
की मौगी, की पुरुख
सबहक छलै
दैत्यक क खूनल पोखरि
मरल हरल
जनम सराध
कातिक माघ स्नान
सब होइत छलै
एही पोखरि में
दैत्यक खूनल पोखरि में
पहिने घाट बटि गेलई
फेर सुखेलई आम जामुन कटहर
सीसो के काटि लए गेलथि पैघ पैघ लोक
बनेबाक लेल मन्दिरक खिड़की केबार
राता राति
मुदा आब सुखा रहल अछि
दैत्य बिला गेलई
मनुक्खक डरि सं
आ मनुक्खक कृत्य सं
सुखा रहल छै
गामक बाहरक विशाल पोखरि
सुनैत रहिये दैत्य डेराउन होइत छै
मुदा कि मनुक्खो सॅ बेसी !