कहल जाइत अछि जे
अर्थशास्त्र
थीक एक टा विज्ञान
जाहि सॅ कएल जाइत अछि
उत्पादन, वितरण व
थीक एक टा विज्ञान
जाहि सॅ कएल जाइत अछि
उत्पादन, वितरण व
खपत केर प्रबंधन
संसाधनक इष्टतम उपयोग
लाभक संग
अछि एकर अंतिम उद्देश्य
हटि गेल अछि
आमजन
अर्थशास्त्र के केंद्र स'
नबका परिभाषा में
संसाधनक इष्टतम उपयोग
लाभक संग
अछि एकर अंतिम उद्देश्य
हटि गेल अछि
आमजन
अर्थशास्त्र के केंद्र स'
नबका परिभाषा में
मांग आ' आपूर्ति कए बीच
संतुलन बैसेबाक कला सेहो थीक
अर्थशास्त्र
जखन कि
नाना प्रकारक
प्रलोभन दय कए
जखन कि
नाना प्रकारक
प्रलोभन दय कए
सृजित कएल जा रहल अछि मांग
आ' आपूर्ति भए रहल अछि
बाजारक शर्त पर
आ' आपूर्ति भए रहल अछि
बाजारक शर्त पर
बड नीक लागल अहांक लिखल ई क्षणिका सब।
ReplyDeleteक्षणिका के मैथिली में कोनो शब्द दियऊ।
छोटगर कविता ...?
..एक सीख रहल छी... छोटगर कविता नीक विचार...
ReplyDeleteअउर ई छोटगर कविता लई बधाई
ReplyDeleteगरीबी की मार
ReplyDeleteआंकड़ों के खेल में
आम बेहाल!
bajarbaad ka sateek chitran...
ReplyDeleteनवरात्र के ४दिन की आपको बहुत बहुत सुभकामनाये माँ आपके सपनो को साकार करे
ReplyDeleteआप ने अपना कीमती वकत निकल के मेरे ब्लॉग पे आये इस के लिए तहे दिल से मैं आपका शुकर गुजर हु आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
मेरी एक नई मेरा बचपन
कुछ अनकही बाते ? , व्यंग्य: मेरा बचपन:
http://vangaydinesh.blogspot.in/2012/03/blog-post_23.html
दिनेश पारीक
अरुण जी
ReplyDeleteनमस्कार.
अर्थशास्त्र के दामन से कितना सौन्दर्यबोध चुरा लाये आप.......वाह वाह !!!!
इससे ज्यादा क्या कहूं. आभार
beautiful and nice post.
ReplyDeleteबहुत ही बढि़या प्रस्तुति।
ReplyDeleteहटि गेल अछि
ReplyDeleteआमजन
अर्थशास्त्र के केंद्र स'
नबका परिभाषा में
vah vah..aam jan aam ki tarah choos liya gaya hai bhai.
बहुत बढिया
ReplyDeletearun ji,
ReplyDeletebhut neek lagal .ahina likhait rahi se hamar subhkamna.
मेरे नए ब्लाग TV स्टेशन पर देखिए नया लेख
ReplyDeletehttp://tvstationlive.blogspot.in/2012/10/blog-post.html
अरुण जी, बढ़िया लागल क्षणिका.
ReplyDeleteबढ़िया क्षणिकाये....शुभ कामनाएं ...
ReplyDeleteधन्यवाद....
बहुत ख़ुब
ReplyDeleteबहुत अच्छा !
ReplyDeleteहिंदीकुंज
अच्छी रचना।
ReplyDeleteअच्छी रचना।
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