फुटकर कविता
१.
शब्द
आब नहि होइत अछि
हरियर
आ जे अछि हरियर
थीक की जीवन !
गामक सीमान पड़ ठाढ़
पीपरक गाछ पर
पीयर अमरबेलक हरियरी
देखै जेबाक भ' गेल अछि !
२
की अहूँ के लगैत अछि ज़े
सुन्नर आ' मोट भ' रहल अछि
पोथीक गत्ता
जखन कि
गूंजि रहल अछि
भीतरक पन्नाक खालीपन
३.
हमर बच्चा के
पसीन नहि
माय -बाबू लेल
अलगे कोठली
पर्दा सँ बंद केबाड
हुन पसीन छन्हि
खुजल खिड़की
जे हवा, पानि भीतर आबै
आ वो भरि नींन सूतथि
मायक-बाबूजी के कोरा में।
१.
शब्द
आब नहि होइत अछि
हरियर
आ जे अछि हरियर
थीक की जीवन !
गामक सीमान पड़ ठाढ़
पीपरक गाछ पर
पीयर अमरबेलक हरियरी
देखै जेबाक भ' गेल अछि !
२
की अहूँ के लगैत अछि ज़े
सुन्नर आ' मोट भ' रहल अछि
पोथीक गत्ता
जखन कि
गूंजि रहल अछि
भीतरक पन्नाक खालीपन
३.
हमर बच्चा के
पसीन नहि
माय -बाबू लेल
अलगे कोठली
पर्दा सँ बंद केबाड
हुन पसीन छन्हि
खुजल खिड़की
जे हवा, पानि भीतर आबै
आ वो भरि नींन सूतथि
मायक-बाबूजी के कोरा में।
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