मतदाता सभ
दुविधा मे छथि कि
केकरा पक्ष में प्रकट करैथ
अप्पन मत
एक दिस भ गेल छै रोटी छोट
दोसर दिस छिना गेल छै काज
बाढि में दहि गेलई ओकर गाम
आ भाई शहर में झेल रहई छै बेकारी
कोन कारणे दई ओ अप्पन मत
दुविधा मे छथि !
जेकरा देने रहैथ पचछुलका
बेर
अप्पन मत
वैह चढ़ि के कुर्सी पर
बिसरि गेलै जे की की केनई रहई घोषणा
बिजली, पैन, स्कूल, किताब, चुलहा, गाछ , बिरिच्छ
काज, धंधा, दर-दवाई, हस्पताल
सब रहि गेलै खाली बहस के बात
बाद मे चर्चा मे रहई छै
हिन्दू-मुसलमान,
बड़का-छोटका,
अगड़ा-पिछड़ा
सीमान पर युद्ध
युद्ध के डर
किरकेट खिलाड़ी सभक कमाई
आ फिल्मी अभिनेत्री सभक बियाह-दान
वो दुविधा में छथि कि
कोन आधार पर तय करथि अप्पन मत
भाषणक आधार पर
वा झंडाक रंग पर
जातिक नाम पर
वा धर्म बेचबाक नाम पर
दंगा वा युद्ध वा भय के नाम पर
वा उन्माद पर ।