अहांक भीतर जे
बसल अइ
उदासी, पीड़ा
दुख आ अवसाद
तार क दिय' हमरा
हम सहेजि राखब
अपना हृदय में
सनेश जेना
लौटती डाक सं
हम पठा देब
भोरुका उजास
भगवती सीरक आशीष
आ आंचर त'रक सिनेह
रंगल ढौरल पौती मे ।
अहांक पूछै सं पहिने बता दी कि
एहि भयौन समयो मे
अस्पताल के संग संग खूजल छै
डाकखाना सेहो ।
- अरुण चन्द्र राय